Here is one of my favourite Bhojpuri song.

कवने खोतवा में लुकईलू अहि रे बालम चिड़ई, अहि रे बालम चिड़ई

बन-बन ढुंढ़ली दर दर ढुंढ़ली , ढुंढ़ली नदी के तीरे
सांझ के ढुंढ़ली, रात के ढुंढ़ली, ढुंढ़ली होत फजीरे
जन में ढुंढ़ली, मन में ढुंढ़ली, ढुंढ़ली बीच बजारे
पिया हिया में पैस के ढुंढ़ली, ढुंढ़ली बिरह के मारे
कोने अंतरे में समईलू अहि रे बालम चिड़ई


बीत कड़ी से पुछली पुछली रात मिलन से
छंद-छंद लय ताल से पुछली सुर के मन से
किरन किरन से जा के पुछली पुछली नील गगन से
धरती और पाताल से पुछली पुछली मस्त पवन से
कोन खोतवा में कौने सोकना पर लुकईलू, अहि रे बालम चिड़ई

मंदिर से मस्जीद तक देखली, गिरजा से गुरुद्वारा
गीता और कुरान मे देखली, देखली तीरथ सारा
पंडित से मुल्ला तक देखली , देखली  घरे कसाई
सगरी उमिरिया छत नत जियरा, कैसे तोहके पाईं
कौने बतिया पर फुकईलू, अहि रे बालम चिड़ई

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